अंजाना सा….पहचाना सा

एक ख़्वाब की मुंडेर पर

एक दस्तक का आना था

एक मुराद को… तमन्ना से जाना था

एक शख़्स बेगाना सा

एक लम्स अपना सा

एक तन अंजाना सा

एक मन पहचाना सा

Leave a comment