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हम पर दुःख का परबत टूटा तब हमने दो चार कहे,

उस पे भला क्या बीती होगी जिसने शेर हज़ार कहे।

  • बाल स्वरूप राही

जब खोने को कुछ नही था

तो लड़ने की ताक़त बेशुमार थी

जब खोने को बेपन्हा है

तो ताक़त तनहा है